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रमजान में खुल जाते हैं जन्नत के दरवाजे, ramdan me khul jate hain jannat ke darwaje,

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 मेरे प्यारे दोस्तो उम्मीद है कि आप लोग अच्छे नही होंगे, अरे अरे गुस्सा क्यो कर रहे हो। मैं ने इसलिए बोला कि आप लोग अच्छे नही होंगे क्योकि कल मैंने कोई भी आर्टीकल नही लिखा और जब मैंने कोई भी आर्टीकल नही लिखा है।तो आप लोग अच्छे नही हो सकते हो। आप लोग मेरे आर्टीकल पढ़ कर ही तो अच्छे होते हो। चलिए आज का आर्टीकल शुरु करते हैं।

रमजान में खुल जाते हैं जन्नत के दरवाजे,

दोस्तो जब हम ( 9,, 10,, 11) साल के थे। तो उस समय जब भी रमजान का महीना आता तो हमे बहुत ही खुशी होती थी। मैं हम क्यो लिख रही हूँ यह ही सोच रहे हो मैं बताती हूँ कि मैं हम क्यो लिख रही हूँ।

रमजान में खुल जाते हैं जन्नत के दरवाजे,
बात यह कि हम यानी मैं और बड़े पापा की  लड़्की तो दोस्तो हमे बहुत ही बे सबरी से रमजान के महीने की इंतेजार रहता था। दोस्तो जब रमजान का महीना शुरु हो जाता था तो हम रम्जान रखने को शहरी में उठ जाते थे।

हमे चाहे कोई उठाता या नही मगर हम फिर भी उठ जाते थे। हम दोनो से एक कोई भी अगर उठ जाता था। तो हम लोग एक दुसरे को उठा देते थे, अगर मैं पहले उठ जाती थी । तो मैं उसे उठा देती थी  अगर वह पहले उठा जाती तो वह मुझे उठा देती थी।फिर हम दोनो अम्मी पापा के लाख मना करने पर  भी हम नही मानते थे हमारे अम्मी पापा बोलते थे कि बेटा आप अभी छोटे बच्चे हो। जब बड़े हो जाओ तब रखना रोजा मगर हम इस मामले में बिल्कुल भी अम्मी पापा की नही मानते थे।

दोस्तो हम दोनो रोज बिना किसी के उठाए उठ जाते थे। दोस्तो हमे रोजे रखने की तो तलब थी ही मगर जो शहरी में तरह तरह की चीजे बनती थी। बहुत ही अच्छा खाना बनता था। उसके लिए हम कुछ ज्यादा उठते थे। फिलाल ऐसा बिल्कुल नही है कि हम सिरफ खाना के लिए ही उठते थे। हमें रोजा रखने का भी एक अलग ही जूनून था हमें बहुत ही अच्छा लगता था जब हम रोजा रखते थे। 

गलत काम क्या होता हैं,

दोस्तो एक राज की बात है। मैं सोच रही हूँ कि बताऊँ या नही, बोलो बता दूँ या नही, ठीक है जब आप लोग इतना कह रहे हो तो बता देती हूँ। मगर एक सरत है कि आप लोग कभी किसी को यह जो मैं आप लोगो को बताने वाली हूँ यह आप लोग किसी को नही बताऊगे।पक्का न किसी को नही  बताउगे, तो राज की बात है।

कि हम दोनो जब भी रोजा रखते तो किसी दिन अगर हमें बहुत ही ज्यादा प्यास लगती तो हम दोनो पानी पी लेते थे। और यह बात किसी को पता नही चलने देते थे कि हमने पानी पीया है। मगर दोस्तो  ऐसा हर बार नही होता था कि हम जब भी रोजा रखते होंगे और हर बार पानी पी लेते होंगे ऐसा नही था। मेरे कहने का मतलब यह है कि हम पानी तो पी लेते थे। मगर हम पानी जब ही पीते थे जब प्यास से हमारा हाल से बेहाल हो जाता था, जब प्यास हमें बर्दास नही होती थी तब हम पानी पी लेते थे। 

दोस्तो मैं ने यह तो आप लोगो से बोल दिया कि आप इस बात को राज ही रखना, मगर यह तो भूल ही गई कि जो सब के राज जानता उस से क्या बोलो क्या उस को भी यह बोल दूँ, इस बात को राज ही रखना। 

दोस्तो हम सब कुछ बात को राज रखते हैं एक दुसरे से, किसी को किसी इंसान का डर होता है तो, किसी को किसी तरह की बदनामी का डर होता है। मगर उससे कैसे छुपाएँ जो सब के राज जानता है आप लोग समझ ही गए होंगे कि मैं किस की बात कर रही हूँ। अगर नही समझे तो मैं बताती हूँ कि मैं किस की बात कर रही हूँ।

दोस्तो मैं खुदा की बात कर रही हूँ। वह सब जानता है सबका राज, हम लोग सब की नजरो से छुप कर न जाने कितने गलत काम करते हैं। मगर खुदा सब देखता है, 

दोस्तो मिलते हैं बहुत ही जल्द आगले ब्लोग में, जब तक के लिए दुआ में याद  रखना।

UP wali chhori,,


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