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दोस्तो पिछले वाले ब्लोग में मैंने अंशु वाली कहानी बताई थी।
दोस्तो अंशु को कम्पनी से निकाल देने के बाद मैं अकेली हो गई थी। मुझे कम्पनी जाना बिल्कुल अच्छा नही लगता था। मगर ऐसा ज्यादा दिन तक नही रहा खुदा ने जल्दी सुन ली। कम्पनी में एक अंशु जैसी और एक लड़की आ गई जिससे मेरी बनती थी। उसका नाम था रुपा यह बहुत अच्छी है। दिल की तो और भी ज्यादा अच्छी है। रुपा बहुत समय तक कम्पनी में रही थी तो इसलिए हम दोनो एक दुसरे की बहुत ही अच्छे दोस्त बन गए है। रुपा का और मेरा कम्पनी में ऐसा ताल मेल था कि दोनो को जो भी साथ देखता तो एक ही बात बोलता कि आप दोनो बहन हो। हम बोलते नही दोस्त हैं मगर किसी को भी भरोसा करना बड़ा मुश्किल होता था।
एक दिन हम ने सोचा कि अगर अब हम से कोई भी पुछेगा कि हम दोनो बहन हैं। तो हम दोनो एक दुसरे की बहन ही बताएँगे अब से हमसे कोई भी पुछता कि हम बहन हैं। तो हम बोलते हाँ मगर इसके बाद भी एक सबाल और पुछा जाता था हमसे कि अगर हम बहन हैं तो रुपा हिंदू और मैं मुश्लिम कैसे, यह सबाल सुनने के बाद हमारे पास बहुत ही प्यारा जवाब भी होता था।
हमारा जवाब सुनोगे बिल्कुल सीधा और सरल एक ही जवाव तो सुनो प्यारे दोस्त जवाव यह था। अगर हम से कोई पुछता था कि रुपा और मै बहन है।हमारा जवाव था हाँ,,मगर तुरंत बाद यह सबाल होता था कि हम बहन नही हो सकते क्योकि रुपा हिंदू और मैं मुश्लिम तो हमने एक रिस्ता निकाला वह रिस्ता था। कि मासेरी बहन, मगर यहाँ भी एक नया सबाल बन कर खड़ा हो गया । नया सवाल यह कि रुपा की अम्मी हिंदू और मेरी अम्मी मुश्लिम हैं। मगर इस सवाल का भी हमारे पास जवाब था।
या अल्लाह मुझे माफ करना।
जवाब यह था। कि रुपा की मम्मी और मेरी अम्मी बहन ही हैं मगर रुपा की मम्मी ने Love Marrige की है। हिंदू लड़के साथ शादी कर ली थी। इसलिए रुपा हिंदू हो गई यह नाटक किया हमको सब लोग बहन मानते थे। मगर सच तो यह ही है न कि हम सगी बहन नही हैं। झुठ बोलना बहुत बड़ा गुनाह है मगर हमने झुठ ही बोला था। या अल्लाह मुझे माफ करना।
रुपा मेरी बहुत अच्छी दोस्त है। अगर मैं कम्पनी में कोई भी गलती कर देती तो मुझे उस गलती के लिए डाट पड़ती और रुपा को अच्छे से पता होता था कि यह गलती मैं ने की है फिर भी जो मुझे डाटता उससे इस तरीके से लड़ती जैसे कि मैं ने कोई गलती की ही नही है। ऐसे बचाती थी जैसे एक माँ अपने बच्चे को बचाती है। इतना Close होने बाद रुपा मुझे से और मैं उससे एक ही बात बोलते थे कि हम एक दुसरे को समझ ही नही पाए। हम बहुत Close थे मगर फिर भी एक दुसरे को समझ नही पाए आप लोग सोच रहे होंगे कि इतना Close होने के बाद भी समझ नही पाए यह कैसी दोस्ती है।
मगर यह सच है। न वह मुझे समझ पाई और न मैं उससे समझ सकी मगर फिर भी फिर भी वह मेरी बहुत अच्छी दोस्त है। हम दोनो में प्यार भी बहुत था और लड़ाई बहुत होती थी कुछ लोग तो हमारी लड़ाई से बहुत परेशान रहते थे क्योकि जब लड़ाई होती थी। तो बहाँ शोर होता था इसलिए सब परेशान होते थे।
हम दोनो की एक और कहानी है। बहुत ही प्यारी अगली कहानी अगले Article में बताऊँगी। OK,,
UP WALI CHHORI,,

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