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💗💝Hello dosto, how are you..
दोस्तो तो शुरु करते हैं आगे क्या हुआ था।
मेरी एक दुआ कूबूल करनी होगी।
आगे यह हुआ था कि मैं अजमेर शरीफ जा कर भी और ख्वाजा के दरबार में जाकर भी ख्वाजा मुइनुद्दिन चिश्ती की दरबार में जाकर भी मैं मैन गैट पार नही कर सकी।मै अन्दर नही जा सकी,
मेरे पापा को जब यह पता चला कि जिस बस को वह बुक कर के लाए हैं। वह अब जाने वाली है तो पापा मुझे गैट से ही वापस लेकर आ गए।ऐसा होना जरुरी था क्या?
मैं बहुत रो रही थी बार बार पापा से बोल रही थी कि मुझे एक बार जाने देंं।अन्दर मगर पापा बोल रहे बेटा बस छुट जाएगी फिर मैं पापा से कुछ न बोल सकी मगर मैं बहुत रो रही थी।पापा मेरा हाथ पकड कर मुझे वहाँ से वापस ला रहे थे।
मुझे बहुत गुस्सा आया था
मैं रो तो रही थी मगर कुछ पल के लिए मुझे ख्वाजा पिया पर बहुत गुस्सा आया। और इससी गुस्से में मै ने बोल दिया।
कि अगर आप सच मुच सच्चे हो,
और अगर आप सच में सबकी पुकार सुनते हो,
इस हिंदूस्तान के महाराजा हो तो आज आपको मेरी एक दुआ कूबूल करनी होगी।मुझे आप दुबारा बुलाऊगे तो मैं मानुँगी कि आप सच मुच सच्चे हो, और आप सच में सबकी पुकार सुनते हो,और आप हिंदूस्तान के महाराजा हो।
हर दर्द की दुआ,,
दोस्तो यह तो सब मैं ने गुस्से बोल दिया मगर मेरे प्यारे ख्वाजा गरीब नमाज़ ने यह सब दुआ समझ कर कूबूल कर लिया। और मुझे फिर से सन (2015) बुला लिया।
दोस्तो ख्वाजा गरीब नमाज से कुछ भी दिल से मांगो इस बात मैं दावा करती हूँ, कि आपको मेरे ख्वाजा गरीब नमाज निरास नही करेंगे।
दोस्तो मैं अजमेर शरीफ से वापस आ रही थी तो वह मैं नही आ रही थी सिरफ मेरा शरीर आ रहा था। मेरी रुह तो वही थी वही ख्वाजा की नगरी में दोस्तो ख्वाजा के दर का दिदार उनको ही मिलता है जो बहुत नसिब वाले हैं।जिनको वह चहाते हैं उनको ही अपनी नगरी बुलाते हैं दोस्तो मुझे ख्वाजा मुइनुद्दिन से बहुत बहुत प्यार है,
दोस्तो अब Article का यहाँ ही end करती हूँ और अगले में मैं आपको बताऊँगी कि मै फिर से अजमेर कैसे गई थी।
मेरे प्यारे प्यारे दोस्तो अपनी UP वाली छोरी को please support करो,,,
अपकी दोस्तो,UP wali chhori ,,


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